Monday 10 April 2017

खेली तेरी गोद बीता बचपन सुहाना

मन क्यों भया उदास, खिली ज़िन्दगी धूप सी
है  टूटी  अब  आस ,चाह  तेरी  अनूप  सी
खेली तेरी  गोद ,बीता  बचपन सुहाना
वह चली गई छोड़, माँ फिर से लौट आना

रेखा जोशी

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