Saturday 17 September 2016

कुहुकती कोयलिया ,अम्बुआ डार पे


खिला खिला उपवन ,पवन चले शीतल
भँवरे करें गुँजन ,  बगिया  बहार पे
फूलों पर मंडराये तितली चुराये  रँग
कुहुकती कोयलिया ,अम्बुआ  डार  पे
गीत मधुर गा  रही  ,डाली डाली झूम रही 
हौले हौले से चलती मदमस्त   हवा
चूम रही  फूल फूल ,लहर लहर  जाये
है रँगीन छटा छाई ,नज़ारे निखार पे

रेखा जोशी 

No comments:

Post a Comment