Wednesday 20 July 2016

मेहनत कर खायेंगे हम खून पसीने की

ज़िंदगी भले ही  कुछ दिनों की है मेहमान
नहीं भूले हम आज भी अपनी ये पहचान
मेहनत  कर  खायेंगे  हम  खून पसीने की
बूढ़ी   हड्डियों  में  मेरी  आज  भी है जान

रेखा जोशी


No comments:

Post a Comment