Monday 27 June 2016

इत्तेफ़ाक़न

वो लम्हा
याद है तुम्हे
इत्तेफ़ाक से
हम तुम
मिले थे जब
खामोश थे लब
और
निगाहों से 
हुई थी बाते
तब से अब तक
थम गया वहीं पर वक्त
मै और तुम
बंध गए
इक प्यारे से
रिश्ते में
सोचती हूँ
इत्तेफ़ाक़न
मुलाकात हमारी
मात्र था इत्तेफ़ाक़
या फिर
मिलना
हमारा तुम्हारा
था चल रहा
यूँही
जन्म जन्म
से

रेखा जोशी


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