Saturday 20 June 2015

घनघोर घटा संग दामिनी नभ पर रास रचाती है

सावन  की  भीगी  रात में ठण्डी  फुहार  रुलाती  है
घनघोर घटा संग  दामिनी नभ  पर रास रचाती  है
छुप  गया  चंदा  बदरा  संग  तारों की बारात लिये
लगा कर अगन शीतल हवायें बिरहन को सताती है
रेखा जोशी

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