Monday 20 April 2015

हाइकू

नदी उतरी 

दामन पहाड़ का 
बहती चली 
..........  
चमचमाती 
पहाड़ से लिपटी 
नदी बहती 
………… 
आकाश पर 
चाँद और सूरज 
रहे विचर 
…………
सूरज चाँद 
खेलें आँख मिचोली 
है आते जाते 
.............
बसंत आया 
पतझर भगाया 
फूल बगिया 
................
सूना बसंत 
जीवन पतझड़ 
बिन सजन 

रेखा जोशी 

No comments:

Post a Comment