Thursday 4 December 2014

ग़ज़ल

यादों  में  हमने  अपनी  तुमको बसा लिया है
दुनिया से हमने तुमको दिल में छुपा लिया है
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रातो में आ आ कर अब हमको न तुम जगाना
सपनो में अपने हमने अब घर बना लिया है
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रोशन है  सूरज  भी तेरे चेहरे की दमक से
चन्दा  ने  भी  तेरी आभा को चुरा लिया है

शबनम रोई रातों  में यूँ तो उमर यहाँ पे
गुलशन ने भी खुशबू को दिल में बसा लिया है

आओ महका दो आँगन अब तुम सनम यहाँ पे
जीवन में खुशियों को दिल में अब सजा लिया है

रेखा जोशी



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