Thursday 27 November 2014

तारों संग नभ पे मुस्कुराता है चाँद

गीतिका

बादलों  की  ओट से झांकता है चाँद
पानी  की  लहरों  पे  चमकता  है चाँद
.....................................................
आ गये हम तो यहाँ परियों के देश में
यहाँ चाँदनी पथ पे   बिखेरता  है चाँद
…………………………………
दीप्त  हुआ  चाँदनी   से  चेहरा  तेरा
रोशनी का आलम अब महकता है चाँद
........................................... ..........
आये तेरी महफ़िल में अब हम भी सनम
तारों   संग संग नभ  पे  हँसता    है चाँद
…………………………………
सुंदर  नज़ारों को बसा लिया पलकों में
अब देख कर हमे यहां  खिलता  है चाँद

रेखा जोशी

No comments:

Post a Comment