Friday 7 November 2014

न जाने यहाँ अंजाम ए मुहब्बत क्या होगा

पल  पल देखो यह जिंदगी गुज़र जाती है 
जुदाई  में  तुम्हारी  हमें   याद  सताती है 
न जाने यहाँ अंजाम ए मुहब्बत क्या होगा 
पल दो पल हमें ख़ुशी तो मिल ही जाती है 

रेखा जोशी

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