Saturday 25 October 2014

मचलती लहरों का लहराना

मदमस्त
उछलना
ऊपर नीचे
लहराना मचलती
लहरों का

शोर मचाती
बढ़ रही
बेताबी से
मेरी ओर
और
भिगो कर
मेरा
तन बदन
फिर लौट
जाना
लहरों का

बस गया
दिल में मेरे
वह मधुर
संगीत
लहरों का

सागर के 
स्वर्णिम सीने पर 
झूल रही नैया मेरी 
गुनगुना रहे लब मेरे 
है झूम रहा
पगला मन 
लेता हिचकोले 
लहरों सा

रेखा जोशी




No comments:

Post a Comment