Thursday 16 October 2014

मुस्कुराती चांदनी

रात अँधेरी 
आसमान में 
आज
तन्हा है चाँद 
उसकी
चांदनी बिखर कर 
छिटक गई 
दूर
उसे छोड़  अकेला
नभ पर 
भर दिया उसने 
आंचल धरा का 
पर
तन्हा हो कर भी 
नही है तन्हा 
चाँद 
विचर रहा आसमान में 
ले कर 
संग संग अपने
मुस्कुराती 
चांदनी 

रेखा जोशी 

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