Monday 22 September 2014

क्षणिका

क्षणिका

बंद पलकों में
बस रही तस्वीर तेरी
आ जाओ अब
कब से निहार रहे  
राह तेरी 
बुन रहे सपने सुहाने 
ओ साथी मेरे 
थम गया वक्त 
नही हो रही खत्म 
घड़ियाँ इंतज़ार की 

रेखा जोशी 

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