Saturday 5 July 2014

चंदामामा दूर के [बाल कथा ]

चंदामामा दूर के [बाल कथा ]


पूर्णिमा के चाँद को देखते ही आज पिंकी फिर मचल उठी,''मुझे चंदा मामा के पास जाना है ,मुझे वहां ले चलो न ,''और इतना कहते ही उसने जोर जोर से रोना शुरू कर दिया । उसके भाई राजू ने हँसते  हुए उससे पूछा ,''तुम चाँद पर जा कर क्या करोगी ?''मै वहां बूढी नानी से चरखा चलाना सीखूँ गी ,मुझे बस उनके पास जाना है ,जाना है ।''झट से पिंकी ने जवाब दे दिया । राजू ने लाख समझाया कि वहां कोई नानी नही रहती ,पर वह मानने को तैयार ही नही थी| अपनी नन्ही सी बहन को कैसे समझाये राजू ,''अरे मेरी प्यारी बहना जिसे तुम नानी कहती हो वह तो दरअसल चाँद पर  बहुत बड़े बड़े गड्डे है ,तुम्हारे चन्दा मामा हमारी धरती से बहुत बहुत दूर है इसलिए वह गड्डे तुम्हे बूढ़ी औरत जैसे दिखाई देते है , वहां तुम्हे सांस लेने के लिए हवा भी नही मिले गी और वहां  चलना भी आसान नही है तुम तो बहुत हलकी हो जाओ गी ,चलने पर ऐसे लगे गा जैसे तुम छलांगे लगा रही हो ,राजू उसका मजाक उड़ा कर जोर जोर से हंसने लगा, ''कितनी अजीब लगोगी तुम मुहं पर आक्सीजन का मास्क ,हवा में उडती हुई ,हा हा हा ,''राजू की बाते सुनते ही पिंकी ने और जोर जोर से रोना शुरू कर दिया  और रोते रोते निंदिया देवी की गोद में चली गई ,पहुँच गई स्वप्नलोक में चंदामामा के दुवारे ,दूर से बूढ़ी नानी दिखने वाली के पास ,पर यह क्या वह धरती से सुंदर दिखने वाले चंदामामा को क्या हो गया ,उनकी चमक गायब हो गई ,वहां पर वह ढूँढती रही बूढ़ी नानी को लेकिन वहां सिवा बड़े बड़े खड्डों के कुछ भी तो नही था ,उसे उसका प्यार भैया राजू दूर खड़ा नजर आया ,उसने अजीब से कपड़े पहन रखे थे मुहं भी अजीब सा लग रहा था और एक लम्बी से नली  उसकी पीठ पर रखे सिलेंडर से उसकी नाक पर आ रही थी ।राजू को देखते ही पिंकी उसकी ओर भागी ,अरे यह क्या हुआ ,उसकी इतनी ऊंची छलांग ,डर के मारे जोर से चीख उठी ,'' बचाओ भैया ,मुझे बचाओ ,मै गिर रही  हूँ । ''धड़ाम की आवाज़ सुन कर राजू भागा भागा कमरे में आया ,''अरे पिंकी तुम सोये सोये बिस्तर से नीचे कैसे गिर गई ?लगता है तुमने चाँद से धरती पर छलांग लगा दी है ।'' हा हां हां राजू जोर से हंसने लगा ।

रेखा जोशी

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