Tuesday 8 July 2014

बढ़ता चल निरंतर पूर्णता की और




आये कहाँ से 

हम 

इस दुनिया में 

जाएँ गे कहाँ 

हम 

नही जानते 

क्या है मकसद 

इस जीवन का 

खाना पीना और सोना 

याँ 

पोषण परिवार  का

करते यह तो पशु पक्षी भी 

ध्येय मानव का 

है कुछ और 

जगत में आया 

उत्थान कर अपना 

कुछ कर कर्म ऐसा 

और 

बढ़ता चल निरंतर 

पूर्णता की और



रेखा जोशी 



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