Saturday 19 July 2014

आओ गर तुम यहाँ ज़िंदगी गुलज़ार है

भीगे  हुये फूल की  महक बरकरार है 
चारो  ओर   छाई  बहार  ही  बहार है
काश तुम भी चले आओ इन बहारों में 
आओ गर तुम यहाँ ज़िंदगी गुलज़ार है 

रेखा जोशी 

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