Friday 23 May 2014

चाहें तो कर सकते दुनिया मुट्ठी में

हौंसलों में हमारे अभी भी दम है 
बुलंद इरादे और बढ़ते कदम है
चाहें तो कर सकते दुनिया मुट्ठी में
छू लेंगे आसमान फिर भी कम है
रेखा जोशी

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