Tuesday 20 May 2014

यह घड़ी ही सँवार सकती है ज़िंदगी

 

वक्त के हाथों  में  ढलती  है ज़िंदगी 
कभी ख़ुशी कभी गम देती है ज़िंदगी 
पर अनमोल है ज़िंदगी का यही घड़ी 
यह घड़ी ही सँवार सकती  है ज़िंदगी 

रेखा जोशी 

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