Sunday 18 May 2014

गुनगुना रहीं है हवाएं मुस्करा उठी फिजायें



खुशबू  तेरी  बसी  ख्वाबों  में मेरी  यादों में 
महकने लगी  मेरी तन्हाई  बदलती  रुत में 
गुनगुना रहीं है  हवाएं मुस्करा उठी फिजायें
बस कुछ ही पल इंतज़ार के बाकी है आने में 

रेखा जोशी 

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