Sunday 11 August 2013

इन्द्रधनुष चाहिए [बाल कथा ]

  इन्द्रधनुष चाहिए [बाल कथा ]

रिम झिम बरसात में पिंकी और राजू अपने दोस्तों के संग खूब मस्ती कर रहे थे ,बारिश में भीगते हुए वह सब नाचते  हुए खूब शोर मचा रहे थे ,आज मौसम भी उनके संग अठखेलियाँ कर रहा था ,अभी अभी इतने तेज़ बरसात हो रही थी और साथ ही सूरज देव भी बादलों के संग आँख मिचोली खेलते  हुए बार बार बादलों में से झांक कर मुस्कुराते हुए नजर आ रहे थे ,पिंकी बुरी तरह से भीग चुकी थी ,उसे बूँदा बूंदी के साथ सूरज के संग छुपा छुपी खेलना बहुत अच्छा लग रहा था ,कभी वह आसमान को देखती तो कभी नीचे पानी में छप छप करती ,अचानक आसमान को देखा तो उसे उपर रंग बिरंगा झूला दिखाई दिया ,ख़ुशी के मारे वह जोर से चिल्लाने लगी ,''राजू भैया वो देखो आकाश में कितना सुन्दर रंगों से  सजा झूला है ,राजू ने जब उपर देखा तो उसे आसमान में बहुत सुन्दर इन्द्रधनुष दिखाई दिया । '' आहा कितना सुन्दर है यह ,मेरी प्यारी बहना ,इसे इन्द्रधनुष कहते है ,जब सूरज की किरणे आसमान में लटकी पानी की बूँदों पर पड़ती  है तब उसकी सफेद रौशनी सात रंगों में विभाजित  हो जाती है और हमे  आकाश में रंग बिरंगा सात रंगो से बना इन्द्रधनुष दिखाई देता है ,''राजू ने पिंकी को समझाया ,लेकिन पिंकी ने तो जिद पकड़ ली कि उसे इन्द्रधनुष चाहिए और बेचारा राजू सोचने लगा कि वह कैसे अपनी नन्ही सी बहन को इन्द्रधनुष ला कर दे ।

रेखा जोशी 

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