Sunday 27 January 2013

जल उठी मशाल

दामिनी की तड़प से आज पूरा भारतवर्ष तड़प उठा है ,भले ही वह जिंदगी की जंग हार गई और  इस दुनिया से सदा सदा के लिए चली गई ,लेकिन वह  पूरे हिन्दुस्तान के घर घर में एक ऐसी मशाल जला गई , जिस की आंच ने  दिल्ली की सड़कों पर बिना किसी  नेतृत्व के देश के युवा वर्ग को संगठित कर दिया,कैंडल मार्च ,शांति मार्च करते हुए भारत के युवा को पुलिस दुवारा छोड़े गए आंसू गैस के गोले ,पानी की बौछाड़े और लाठीचार्ज भी नही रोक पाए ,सब एक ही  सुर में दामिनी के लिए इन्साफ की मांग की दुहाई दे रहे है ,जन्तर मंतर पर आज भी भूख हड़ताल रख रहे कई नवयुवक ,नवयुवतियां बैठे सरकार के फैसले का इंतज़ार कर रहे है ,अपराधियों के लिए फांसी हो याँ उन्हें नपुंसक बनाने की मांग ,जो भी सजा उन्हें मिले उसका निर्णय शीघ्र होना चाहिए ,फास्ट ट्रेक कोर्ट होने चाहिए जो ऐसे जघन्य ,विभीत्स अपराधों पर तुरंत  निर्णय ले सके |१६ दिसम्बर को हुई  इस शर्मनाक घटना के बारे में   खुल कर आलोचना कर रहे युवा वर्ग  आज दामिनी की आत्मा की शांति के लिए भारत सरकार से यह उम्मीद कर रहें  है कि महिलायों पर हो रहे इस प्रकार के अपराध पर तुरंत कार्यवाही करें और दोषियों को कड़ी से कड़ी सज़ा मिले ताकि आगे से इस तरह के अपराधों पर अंकुश लग सके |आये दिन हमारे देश की अबोध बच्चियों ,महिलायों के साथ होते बलात्कार के आंकड़े दिन प्रतिदिन बढ़ने से लोगों में भीतर ही भीतर पनपते आक्रोश में दामिनी की तड़प से उबाल आ गया है और आज केवल दिल्ली से ही नही बल्कि दूर दूर से आ रहे युवा ,इण्डिया गेट,राज पथ और राष्ट्रपति भवन के सामने अपनी भावनाओं का प्रदर्शन कर सम्पूर्ण नारी जाति की सुरक्षा की मांग कर रहें है |बिना किसी नेता के इतना बड़ा जनसमूह अपना विद्रोह प्रदर्शन करने आज सरकार के सामने  उतर कर  आया है जिसने सरकार और पुलिस की नींदे हराम कर रखी है |आज भारत का हर घर दामिनी के साथ हुए गैंगरेप से भावनात्मक तौर से इस तरह जुड़ चुका है जैसे उनके अपने घर में ही यह खौफनाक  हादसा हुआ हो ,हर घर की बहू बेटी आज अपने ही इस देश में अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रही है क्योंकि इस तरह के अपराध करने के बाद भी अपराधी खुले आम  सडकों पर घूमता रहता है ,हैरानी की बात है कि सज़ा का व्यवधान होते हुए भी अपराधी कानून की ग्रिफ़्त से न जाने कैसे बच निकलते है |कितनी ही लडकियां बलात्कार जैसे शर्मनाक  हादसे के बाद  मौत को गले लगा लेती है ,उनके अपने माँ बाप भी उन्हें अपनाने से इनकार कर देते है ,तन मन और आत्मा तक से पीड़ित लड़की इस विक्षिप्त मानसिकता वाले समाज में बिलकुल अकेली और असहाय सी घुट घुट कर जिंदगी जीने के लिए मजबूर हो जाती है ,क्या यही नारी सशक्तिकरण है ? यहाँ तक कि कभी कभी तो रक्षक ही भक्षक बन जाते है |कई बार अख़बारों की  सुर्ख़ियों में अक्सर बाप द्वारा अपनी ही बच्ची के साथ बलात्कार ,भाईओं दवारा अपनी ही बहनों का शोषण ,पति अपनी अर्धांगिनी की दलाली खाने के समाचार छपते रहते है  और उनके कुकर्म का पर्दाफाश न हो सके इसके लिए बेचारी नारी को यातनाये दे कर,ब्लैकमेल कर के उसे अक्सर दवाब में जीने पर मजबूर कर दिया जाता है |अपने ही परिवार से  जन्मी असुरक्षा का बोझ ले कर जब नारी घर से बाहर कदम रखती है तो उसके आस पास छुपे  भेडियो और गिद्धों का कब शिकार बन जाये ,वह स्वयं नहीं जान पाती ,और तो और कई महिलाये भी इस घृणित कार्य में संलग्न है |पाश्चात्य सभ्यता का अंधाधुन्द अनुसरण भी एक कारण है ,नारी के असुरक्षित होने का,उनका पहनावा ,स्वछंद सोच ,और जैसा की आजकल का चलन होता जा रहा है ,लिव इन रिलेश्न्शिप्ज़ का , जो की अपराध को खुलेआम चुनौती दे रहे है |हमारे  परिवार अगर  अपनी बेटी में बेटों सा आत्मविश्वास पैदा कर सकें ,उन्हें मार्शल आर्ट्ज़ की ट्रेनिग प्रदान करें ताकि  कुछ हद तक वह अपनी सुरक्षा  ऐसे अपराधिक मानसिकताओं वाले जंगलियों से कर सकें |बलात्कार जैसी घिनौनी घटनायों पर अंकुश लगाना अत्यंत ही कठिन है ,माँ बाप दोनों ही इस भागती दौड़ती जिंदगी का एक हिस्सा बन चुके है ,बच्चों में संस्कारों की कमी लगातार बढती जा  रही है ,रही सही कमी टी वी और इंटरनेट पूरी कर रहें है ,हर विज्ञापन में औरत के ऐसे रूप को दर्शाया जाता है जिसे देख कर खुद नारी को भी शर्म आ जाए |यह सब देख कर बहुत ही दुःख होता है ,लेकिन आज दामिनी जो मशाल जला गई है वह कुछ न कुछ रंग तो जरूर ले कर आये गी ,सरकार को नारी सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने होंगे और वही हम सब भारतवासियों की दामिनी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी  |

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