Friday 21 December 2012

अबला से सबला तक

हमारे धर्म में नारी का स्थान सर्वोतम रखा गया है \नवरात्रे हो या दुर्गा पूजा ,नारी सशक्तिकरण तो हमारे धर्म का आधार है \अर्द्धनारीश्वर की पूजा का अर्थ यही दर्शाता है कि ईश्वर भी नारी के बिना आधा है ,अधूरा है\ वेदों के अनुसार भी 'जहाँ नारी की पूजा होती है ' वहाँ देवता वास  करते है परन्तु इसी धरती पर नारी के सम्मान को ताक पर रख उसे हर पल अपमानित किया जाता है \इस पुरुष प्रधान समाज में भी आज की नारी अपनी एक अलग पहचान बनाने में संघर्षरत है \जहाँ  बेबस ,बेचारी अबला नारी आज सबला बन हर क्षेत्र में पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिला कर चल रही है वहीं अपने ही परिवार में उसे आज भी यथा योग्य स्थान नहीं मिल पाया ,कभी माँ बन कभी बेटी तो कभी पत्नी या बहन हर रिश्ते को बखूबी निभाते हुए भी वह आज भी वही बेबस बेचारी अबला नारी ही है \शिव और शक्ति के स्वरूप पति पत्नी सृष्टि का सृजन करते है फिर नारी क्यों मजबूर और असहाय हो  जाती है और आखों में आंसू लिए निकल पड़ती है अपनी ही कोख में पल रही नन्ही सी जान को मौत देने \ क्यों नहीं हमारा सिर शर्म से झुक जाता \कौन दोषी है ,नारी या यह समाज \क्यों कमज़ोर पड़ जाती है नारी \अधूरी है ईश्वर की पूजा अगर यह पाप हम नहीं रोक पाते \ अधूरा है नारी सशक्तिकरण जब तक भ्रूण हत्यायों का यह सिलसिला हम समाप्त नहीं कर पाते \ सही मायने में नारी अबला से सबला तभी बन पाए गी जब वह अपनी जिंदगी के निर्णय स्वयम कर पाये गी \                    

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